कलाम को आखिरी सलाम
भारत का एक और फरिस्ता चला गया।
लगा पार भारत का नाव , फरिस्ता चला गया।
जब - जब चाह किया हमने इतिहास बदलने का।
दिया कलाम ने मार्ग नया भारत को चलने का।
अब आँखों के आंसू रुकते नहीं रोके।
पाएंगे कहा फिर सुख ऐसा सारथी खोके।
छोड़ हमारा हाथ फरिस्ता चला गया।
लगा पार भारत का नाव , फरिस्ता चला गया।
जुड़ गया अब इक नयी कहानी इतिहास के पन्नो में।
कहा मिलेगा ऐसा हिरा दुनिया के हीरो , पन्नो में।
थम गया हैं आसमा और गगन इस शोक के आसु को लेकर।
रोता है हर दिल का धड़कन यह अमूल्य रत्न वापस देकर।
हर भारतवासी का है महान कलाम को सत - सत बार सलाम , फरिस्ता चला गया।
लगा पार भारत का नाव , फरिस्ता चला गया।
शेष नाथ
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